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    IND-PAK Ceasefire: नहीं खुले बाजार अब भी दशहत बरकरार,सीमा पर बसने वाले लोगों की जुबानी चार रातों की कहानी

    indian army

    हाल ही में घोषित संघर्षविराम के बावजूद पाकिस्तान ने अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आया। सीमा पर लगातार कई घंटों तक भारी गोलाबारी होती रही, जिससे स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई। इस हमले में बॉर्डर के नजदीक बसे कई गांवों को भारी नुकसान पहुंचा है—कई घर मलबे में तब्दील हो गए, और लोग जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थानों की तलाश में भटकते नजर आए। ये सब कुछ उन्हीं लोगों की ज़ुबानी सामने आ रहा है, जो इन हालातों को हर रोज़ अपनी आंखों से देख रहे हैं और झेल रहे हैं।

    स्थानीय लोगों का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता से पाकिस्तान बौखला गया है, और अब उसकी हरकतों पर भरोसा करना मुश्किल हो गया है। उन्हें हमेशा इस बात का डर सताता है कि कब अगला हमला हो जाएगा। इलाके में तनाव का माहौल बना हुआ है और लोग खौफ के साए में दिन गुजार रहे हैं। संघर्षविराम के अगले दिन की सुबह कैसे गुजरी, वहां के लोगों की जिंदगी कैसी चल रही है, और सुरक्षा बल किस तरह से स्थिति को संभाल रहे हैं—इन तमाम पहलुओं को वह ज़मीनी हकीकत के साथ रिपोर्ट कर रहे हैं।

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    बंद दुकानों और डर के साए में बीतीं चार रातें—सीमावर्ती गांवों की सच्चाई उन्हीं की ज़ुबानी

    ऑपरेशन सिंदूर से बुरी तरह बौखलाए पाकिस्तान ने तंगधार में मंगलवार रात से ही कहर ढा रखा था। चार रोज तक हर रात भारी गोलाबारी की गई। इन चार दिनों में त्रिबुनि, शमसपोरा, बागबेला, दिलदार, भटपोरा, नवगाबरा गांव में 100 से ज्यादा घर तबाह हो गए। करीब 50 वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं। हालांकि, अभी सरकार की ओर से आकलन शुरू नहीं हुआ है, लेकिन लोगों के अनुसार यहां काफी नुकसान हुआ है।

    त्रिबुनि में गोलाबारी से कई मकानों में आग लग गई थी, जिससे वे पूरी तरह जल गए हैं। हमलों में कुछ लोग घायल भी हुए थे। यहां से 90 फीसदी लोग सुरक्षित ठिकानों पर शरण लिए हुए हैं। बाकी के लोग दिन-रात बंकरों में काट रहे थे। लोग अभी यहां वापस लौटने से घबरा रहे हैं। उनका कहना है कि बौखलाए पाकिस्तान का कोई भरोसा नहीं है। पता नहीं कब फिर से हमला कर दे। इस संघर्ष में उनका मकान, दुकानें और वाहन तक नष्ट हो गए हैं। मवेशी भी मारे गए। पाकिस्तान को ऐसे ही छोड़ देना लोगों को गवारा नहीं है। 

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    कुपवाड़ा के शहरी इलाके में शरण लिए एजाज बट कहते हैं, सब कुछ खोने के बाद अब घर कैसे लौटें। घर बनाना एक सपने की तरह होता है। मेरा तो सपना ही धमाकों के साथ टूट गया। अब दोबारा घर बनाना बहुत मुश्किल है। सरकार अगर मदद करे तो कुछ राहत अवश्य मिल सकती है।

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