कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कहा है कि अस्थायी निवासियों की संख्या — जैसे कि अंतरराष्ट्रीय छात्र और विदेशी कामगार — देश की कुल जनसंख्या के 5% से अधिक नहीं होगी। इसी के साथ, कनाडा लगातार भारतीय छात्रों को मिलने वाले वीजा परमिट की संख्या घटा रहा है। कनाडा की इमीग्रेशन, रिफ्यूजी और सिटिजनशिप (IRCC) एजेंसी द्वारा जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, 2025 की पहली तिमाही में केवल 30,640 भारतीय छात्रों को स्टडी परमिट मिले, जबकि 2024 की पहली तिमाही में यह संख्या 44,295 थी। यानी इस बार भारतीय छात्रों के परमिट में करीब 31% की गिरावट देखी गई है।
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कनाडा में भारतीय छात्रों की एंट्री पर ब्रेक
कनाडा सरकार का मकसद अब यह है कि विदेशों से पढ़ाई के लिए आने वाले छात्रों की संख्या को सीमित किया जाए। साल 2023 में कनाडा ने कुल 6,81,155 अंतरराष्ट्रीय छात्रों को स्टडी वीजा दिए थे, जिनमें 2,78,045 भारतीय छात्र शामिल थे। लेकिन इसके बाद से भारतीय छात्रों को मिलने वाले वीजा की संख्या में लगातार गिरावट देखने को मिली है। 2024 में कुल 5,16,275 विदेशी छात्रों को वीजा जारी किए गए, जिनमें 1,88,465 वीजा भारतीय छात्रों को मिले। कनाडा में अप्रवासन के रिकॉर्ड स्तर, घरों की बढ़ती कीमतें और हेल्थ व ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर बढ़ते बोझ की वजह से सरकार ने विदेशी छात्रों के लिए वीजा परमिट की संख्या कम करने का फैसला लिया है।
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हाल के वर्षों में कनाडा सरकार ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या को सीमित करने की दिशा में सख्त नीतियां लागू की हैं। इसका मुख्य कारण देश में तेजी से बढ़ रहा अप्रवासन है, जिससे कनाडा में आवास की कमी, घरों की बढ़ती कीमतें, और स्वास्थ्य व सार्वजनिक परिवहन सेवाओं पर अत्यधिक दबाव देखा जा रहा है। सरकार का मानना है कि यदि विदेशी छात्रों की संख्या पर नियंत्रण नहीं रखा गया, तो यह देश की सामाजिक और आर्थिक संरचना पर नकारात्मक असर डाल सकता है। इसी वजह से स्टडी वीजा परमिट की संख्या में कटौती की जा रही है। इस नीति का सबसे ज्यादा प्रभाव भारतीय छात्रों पर पड़ा है। जहां 2023 में बड़ी संख्या में छात्रों को स्टडी वीजा मिले थे, वहीं 2024 में इनकी संख्या में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है, जो कनाडा की बदलती इमीग्रेशन पॉलिसी का साफ संकेत है।