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    पुतिन-जिनपिंग जैसा तानाशाह बनना चाह रहे ट्रंप? लॉस एजिल्स में भड़की चिंगारी में संकेत देख रहे एक्सपर्ट

    trump

    डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को कहा कि वह “गृहयुद्ध नहीं चाहते” हैं। लेकिन लॉस एंजिल्स में जो हालात बने हैं, वह उनके लिए अपने मुख्य समर्थकों के बीच सख्त छवि दिखाने का शानदार मौका बन गए हैं। ट्रंप को अपनी ताकत और प्रभुत्व का प्रदर्शन करना पसंद है — चाहे वो चीन या नॉर्थ कोरिया जैसे प्रतिद्वंद्वी देशों के खिलाफ हो या यूरोप जैसे सहयोगी देशों के साथ। इस बार उन्हें अपनी ताकत दिखाने का मौका अपने ही देश, अमेरिका में मिल गया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने कैलिफोर्निया के लॉस एंजिल्स में भड़के विरोध प्रदर्शनों को काबू करने के लिए सेना तैनात कर दी है, वो भी राज्य सरकार की मंजूरी के बिना।

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    लॉस एंजिल्स में भड़की चिंगारी में दिख रहा है ट्रंप की सत्ता विस्तार का संकेत, एक्सपर्ट्स जता रहे आशंका

    इस फैसले से एक बार फिर यह जाहिर हो गया है कि ट्रंप राष्ट्रपति पद की शक्तियों की सीमाओं को परखने और उन्हें आखिरी हद तक ले जाने से नहीं झिझक रहे। आलोचकों का कहना है कि ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में तानाशाही रवैये की ओर बढ़ते दिख रहे हैं। उनके प्रशासन ने सोमवार को घोषणा की कि वह अमेरिका के दूसरे सबसे बड़े शहर, लॉस एंजिल्स में 700 सक्रिय ड्यूटी मरीन्स तैनात करेगा। ट्रंप ने यह भी चेतावनी दी है कि सेना को “कहीं भी” भेजा जा सकता है, जिससे यह डर बढ़ गया है कि वो देशभर में विरोध-प्रदर्शनों और असहमति की आवाज़ों को दबाने के लिए सेना उतार सकते हैं।

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    सिरैक्यूज़ यूनिवर्सिटी के कानून प्रोफेसर विलियम बैंक्स ने न्यूज एजेंसी एएफपी से कहा, “यह एक बेहद खतरनाक रास्ता है… अगर राष्ट्रपति इससे आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं, तो वे अमेरिका में लंबे समय से चले आ रहे उस सिद्धांत का उल्लंघन करेंगे, जिसमें सिविल कानून व्यवस्था आम नागरिकों के नियंत्रण में रखी जाती है।”

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    क्या ट्रंप को मिल गया है मनचाहा मौका?

    लॉस एंजिल्स में जारी प्रदर्शन कई तरह से वही है जिसकी ट्रंप को तलाश थी। वह पहले से ही कैलिफोर्निया के डेमोक्रेटिक गवर्नर गेविन न्यूसोम के साथ टकराव में हैं और अब इस मुद्दे पर भी अपनी पसंदीदा इमिग्रेशन नीति को लेकर आक्रामक हो गए हैं। न्यूसोम ने ट्रंप पर आरोप लगाया है कि वह राजनीतिक फायदा उठाने के लिए जानबूझकर संकट खड़ा कर रहे हैं और उन्हें “तानाशाही” राष्ट्रपति करार दिया है। दूसरी ओर ट्रंप ने इशारा किया है कि इस राज्यपाल, जो 2028 में राष्ट्रपति पद के संभावित दावेदार माने जा रहे हैं, को हिरासत में लिया जा सकता है।

    कैलिफोर्निया से डेमोक्रेटिक सीनेटर एलेक्स पाडिला ने इस पूरे घटनाक्रम को “तानाशाही शैली की सरकार का उदाहरण” बताया है। मानवाधिकार संगठनों ने भी इस कदम का विरोध किया है। अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन (ACLU) की हिना शम्सी ने बयान जारी कर इसे “बेवजह, उकसाने वाली और सत्ता के दुरुपयोग की मिसाल” बताया है।

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