पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा अपनाई गया ‘वॉटर स्ट्राइक’ रूपी ब्रह्मास्त्र पाकिस्तान के लिए बड़ा संकट बन गया है। इस रणनीति के चलते सिंधु बेसिन में पाकिस्तान के डैम्स तक पहुंचने वाले पानी के प्रवाह में भारी गिरावट दर्ज की गई है। पूरे देश में जलाशयों का जलस्तर खतरनाक रूप से नीचे चला गया है। मंगला और तरबेला जैसे प्रमुख बांध लगभग सूख चुके हैं, जिससे न सिर्फ सिंचाई व्यवस्था चरमरा गई है बल्कि खरीफ फसलों की बुवाई भी ठप होने की कगार पर पहुंच गई है।
भारत द्वारा चिनाब नदी में जल प्रवाह घटाने के बाद पाकिस्तान की सिंधु नदी प्रणाली में पानी की किल्लत तेजी से बढ़ती जा रही है। पिछले साल की तुलना में इस बार स्थिति ज्यादा खराब हो गई है। मंगला और तरबेला जैसे प्रमुख बांधों में जल संग्रहण क्षमता आधे से भी कम रह गई है, जिससे जल संकट और गहरा गया है।
खरीफ बुआई पर संकट, भारत के ‘ब्रह्मास्त्र’ से पाकिस्तान के खेत बने बंजर
ताजा आंकड़ों के मुताबिक, खैबर पख्तूनख्वा में स्थित तरबेला डैम पर सिंधु नदी का जलस्तर 1,465 मीटर तक सिमट गया है। पंजाब में चश्मा डैम पर यह स्तर 644 मीटर पर पहुंच गया है। इसी तरह, मीरपुर स्थित मंगला डैम का जलस्तर 1,163 मीटर दर्ज किया गया है। भारत के ‘वॉटर स्ट्राइक’ रूपी ब्रह्मास्त्र का असर यहां भी साफ नजर आ रहा है, जिससे पाकिस्तान के जलस्रोत तेजी से सूख रहे हैं। सियालकोट के मराला में हालत सबसे ज्यादा खराब हैं, जहां चिनाब नदी का औसत प्रवाह 28 मई के 26,645 क्यूसेक से घटकर 5 जून को सिर्फ 3,064 क्यूसेक रह गया है।
नदी और नहरों में पानी की कमी के चलते खरीफ फसलों की बुवाई को लेकर किसानों की चिंता बढ़ गई है। सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों में पानी का प्रवाह काफी कम हो गया है। तेज गर्मी और पानी की अनुपलब्धता के कारण खेतों की मिट्टी में गहरी दरारें पड़ गई हैं। इसके साथ ही पाकिस्तान में भीषण गर्मी के बीच मानसून के देर से आने की आशंका ने सिंचाई की परेशानी को और बढ़ा दिया है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार जून के आखिर तक मानसून के पहुंचने की संभावना कम है, जिससे किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी न मिलने की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
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