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    क्‍या पाकिस्‍तान में आने वाली है भयंकर तबाही, बर्बादी का काउंटडाउन शुरू!

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    ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं, जिनमें से एक बड़ा कदम है वॉटर स्ट्राइक”। भारत ने सिंधु जल संधि को किनारे रखते हुए पाकिस्तान की जल आपूर्ति को सीमित करने की रणनीति अपनाई है, जो अब असर दिखा रही है। पाकिस्तान की इंडस रिवर सिस्टम अथॉरिटी (IRSA) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, वहां इस समय 21% पानी की कमी दर्ज की गई है। इस पानी की किल्लत का सीधा असर फसलों की पैदावार पर पड़ सकता है, जिससे आर्थिक और सामाजिक बर्बादी की आशंका गहराने लगी है। हालात ऐसे हैं कि आने वाले समय में पाकिस्तान में जल संकट और भी गंभीर हो सकता है। सवाल यह उठता है कि क्या पाकिस्तान अब भयंकर बर्बादी और जल संकट की ओर बढ़ रहा है? क्या उसे सच में हर बूंद के लिए तरसना पड़ेगा?

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    पाकिस्तान पर मंडरा रहा है संकट, बर्बादी का अलार्म बज चुका है!

    भारत ने पाकिस्तान से साफ कहा है कि वह सिंधु जल संधि के क्रियान्वयन में हो रही अड़चनों के लिए भारत को दोष देना बंद करे, क्योंकि असल में सीमा पार से फैलाया जा रहा आतंकवाद ही इस संधि के उल्लंघन का कारण है। शुक्रवार को ताजिकिस्तान के दुशांबे में संयुक्त राष्ट्र के पहले ग्लेशियर सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए भारत के पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने पाकिस्तान पर निशाना साधा।

    उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस मंच का दुरुपयोग कर रहा है और ऐसे मुद्दों को उठा रहा है जो इस सम्मेलन के विषय से कोई संबंध नहीं रखते। सिंह ने इसे लेकर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि भारत ऐसे प्रयासों की कड़ी निंदा करता है। बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर हुए थे, जिसमें विश्व बैंक भी एक पक्षकार था। यह संधि सिंधु नदी प्रणाली के जल के बंटवारे को लेकर दोनों देशों के बीच एक समझौता है।

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    शहबाज़ ने तजाकिस्तान में भारत के कदमों पर चिंता जताई

    जल संकट से परेशान पाक पीएम शहबाज़ शरीफ ने तजाकिस्तान में भारत के कदमों पर चिंता जताई है. उन्‍होंने कहा कि भारत पानी रोक कर स्थिति को और खराब कर रहा है. पाकिस्तानी अखबार ‘डॉन’ ने शरीफ के हवाले से कहा है, ‘सिंधु बेसिन के पानी के बंटवारे को नियंत्रित करने वाली सिंधु जल संधि को स्थगित रखने का भारत का एकतरफा और अवैध निर्णय अत्यंत खेदजनक है.’ आपको बता दें  भारत को सिंधु जल संधि के तहत रावी, ब्यास, सतलज जैसी पूर्वी नदियों पर पूरा अधिकार, जबकि पश्चिमी नदियों यानी झेलम, चेनाब और सिंधु के पानी पर सीमित अधिकार है. पहलगाम के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को सस्पेंड कर दिया है. भारत ने पाकिस्तान को जल प्रवाह से जुड़ा कोई भी डेटा साझा करना बंद कर दिया है.

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